*वेद में इतिहास की सिद्धि केवल पाखंडी तथाकथित मूलनिवासियों की ठगी व धूर्तता*    - प्रथमेश आर्य।

,*मूलिनिवासीवाद दर्पभञ्जनम्* 

🔥 *वेद में इतिहास की सिद्धि केवल पाखंडी तथाकथित मूलनिवासियों की ठगी व धूर्तता* 
  - प्रथमेश आर्य।

आ1.मू2

नमस्ते सत्यसमर्थक मित्रों!
इन नवबौद्धों की ऐसी ही बुद्धि है जहाँ इतिहास है वहाँ नहीं दिखता और जहाँ इतिहास हैं ही नहीं वहाँ इतिहास दिखता है। मैक्समूलर दादा के मूर्ख पुत्र जो ठहरे।  

*वेद में अनित्य ऐतिहासिक घटनायें नहीं*  और यदि भारत का इतिहास ही ढूँढ़ना है तो अष्टाध्यायी पढ़ो उसमें गौणरूप से इतिहास दिया है व यह भी अनुमान लग जायेगा कि पाणिनी काल में भारत में भाषा का स्तर क्या था।

*पुराण अर्थात् शतपथ आदि ग्रंथों में वेदमन्त्रों के प्रतीक धर कर वेदमन्त्रों का व्याख्यान किया गया है।* उनमें किसी भी व्याख्यान में मूलनिवासीवाद का वर्णन नहीं न ही काल्पनिक देवी व देवताओं का वर्णन है।

तब जब ब्राह्मण ग्रंथों में मूलनिवासीवाद नहीं तो वेद में तो बिल्कुल भी ऐतिहासिक घटनाओं का होना असंभव है।

अब कुछ प्रमाण के रूप में निघंटु में जिन वेदशब्दो अर्थ दिये हैं उनका विवरण देतें हैं:- 

1. *सगरः* , *पुष्करः* ये अन्तरिक्ष के नाम हैं। निघंटु 1.3। 

2. *सप्त ऋषयः*, *सुपर्णा* ये रश्मि (किरण) के नाम हैं। निघंटु 1.5। 

3. *पर्वतः*, *गिरिः* , *वराहः*,   🔥 *वृत्रः* , *असुरः* ये मेघों (बादलों) के नाम हैं। निघंटु 1.10।

4. *गौः*  , *गौरी* , *वाणी*, *ऋक्*, *धेनुः* , 🔥 *सरस्वती* , *सूर्या* ये वाणी के नाम हैं।निघंटु 1.11। 

5. *नरः*, 🔥 *नहुषः*, *पञ्चजनाः* , *विवस्वन्तः* ये मनुष्यों के नाम हैं। निघंटु 2.3। 
6. *विष्णुः* , *अध्वरः*ये यज्ञ का नाम है। निघंटु 3.17। 

अब आप ही बताइये कि *क्या आपको कहीं मूलनिवासी वाद दिखा? या मूलनिवासी जातियाँ दिखीं?* कहीं काल्पनिक देवी या देवता दिखे? 

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