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गौमूत्र की वैज्ञानिक महिमा

  नमस्ते जी हमने आजकल देखा है कि बहुत से लोग हैं ऐसे जो गोमूत्र का और हिंदुओं का मजाक उड़ाते हैं इस बात पर कि वह गौ मूत्र का पान करते हैं गौ मूत्र पीते हैं इस बात पर बहुत ज्यादा मजाक उड़ाया जाता है  तुम्हें यह केवल उन को उत्तर देने के लिए लिख रहा हूं।  जो व्यक्ति जिसको जान थोड़ा कम होता है तो उन बातों का भी मजाक उड़ाता है जो उसके समझ में नहीं आती जैसे कि अगर कुछ सौ साल पहले लोगों से बोलते हैं कि पृथ्वी गोल है भारत में सब जानते थे विदेश में किसी को बोलते कि पृथ्वी गोल है तो कोई नहीं मानता और जिसने पृथ्वी को गोल बना उसका मजाक उड़ाया जाता यहां तक की हत्या भी कर दी गई थी गैलीलियो की इसी से पता चलता है कि सत्य बोलने वाले यदि अज जैनियों के सामने सत्य बोले तो अज्ञानी लोग भी उनका मजाक उड़ाते हैं क्योंकि उन्हें पूर्ण जान नहीं होता अब आते हैं इस बात पर कि गोमूत्र का से क्या संबंध है तो यदि हम गोमूत्र को देखें क्या है ऐसे लोग जो गोमूत्र का मजाक उड़ाते हैं यह लोग ज्यादातर वैज्ञानिकों की बातों को आंखें बंद करके मान लेते हैं कि जो वैज्ञानिकों ने बोल दिया उसको आंखें बंद करके मान लेना।  इलिए इनको वैज्

हिन्दू मन्तव्य की पोल खोल

हिन्दूमन्तव्य की पोल खोल               -अथर्व आर्य कुछ लोग हैं जो खुद को हिंदू कहते हैं और स्वामी दयानंद जी  का विरोध करते हैं उन्होंने हिंदू मंतव्य नाम से एक ब्लॉग बनाया है जिस पर वह स्वामी जी को गालियां देते हैं यह लेख उनके मुंह पर जोरदार तमाचा है | इनका एक लेख आया था दयानंद का अद्भुत विज्ञान नाम से तो आज उसकी समीक्षा करते हैं पहला  आक्षेप इस पर किया है कि स्वामी जी ने नवम समुल्लास में एक स्थान पर लिखा है कि आकाश का कोई रंग नहीं होता तो तो प्रश्न करते हैं लोग कि ऊपर जो दिखाई देता है यह क्या है स्वामी जी कहते हैं कि जो ऊपर दिखता है जो अलग-अलग तरह के त्रसरेणु  अर्थात कण हैं, अग्नि के पृथ्वी के जल के उनके कारण ही यह रंग दिखाई जाए बिल्कुल सही है वैज्ञानिक तथ्य है आगे स्वामी जी कहते हैं जो नीला है यह जल  जो बरसता है उसके कारण दिखाई देता है अब मूर्खों ने ऐसा काम किया है कि इस  बात को लेकर स्वामी जी के बारे में बहुत अपशब्द कहे हैं इस ब्लॉग में । इन लोगों ने खुद कुछ विज्ञान पढ़ा नहीं है और आकर यहां पर अपना ज्ञान झाड़ रहे हैं केवल विरोध करने के लिए तो आप इसकी समीक्षा करते हैं ऋग्वेदादिभाष

ईसाइयत का सच

झूठे ईसाइयों के लिए आयना कई बार ईसाई पास्टर और प्रचारक सनातन वैदिक धर्म पर आक्षेप करते हैं कि वेद में तो यज्ञ के समय पशुबलि देने का विधान है और ऐसा कह कर भोले भाले लोगों को ईसाई बनाते हैं और कहते हैं जिस धर्म में ईश्वर को खुश करने के लिए बेचारे पशुओं को मारा जाता हो उस धर्म को छोड़ देना ही अच्छा है पर आज तक सिद्ध नहीं कर पाए ना कभी कर पाएंगे। तो आज इस लेख के माध्यम से मैं ऐसे मूर्ख ईसाइयों को आयना दिखा रहा हूं बाइबल में पशुबलि 1.सातवे महिने के पहले दिन एक सभा रखी जाए और इस दिन कोई रोज वाले काम मत करना और सब लोग भोंपू बजाएं। 2.ईश्वर को सुगंध से खुश करने के लिए एक जवान बैल एक भेड़ और एक वर्ष की आयु के सात मेंमनों को पका कर ईश्वर को पेश कीया जाए। ये जब जानवर पूर्ण रूप से स्वस्थ हों। 3.आटे और olive oil के साथ 3/10 भाग बैल के मांस का और 2/10 भाग भेड़ के मांस का 4.और हर मेंमना 1/10 वा भाग होगा। 5. और अगर पाप क्षमा करवाने हैं तो एस बकरा ही चढ़ा दो साथ में। 6. ‎ये रोज़ के पके मांस, अन्न और शराब के चढ़ावे के अलावा है। और ये सब सुगंध युक्त उस ईश्वर के लिए है। 7. ‎सातवे महिने के दसवे दिन

बाबा साहेब की द्वितीय प्रतिज्ञा की समालोचना

🔥 *बाबा साहेब की द्वितीय प्रतिज्ञा की समालोचना* *ओ३म्*     - *प्रथमेश आर्य्य* ११ अप्रैल २०१८।  नमस्ते मित्रों ! प्रथम प्रतिज्ञा की समालोचना के पश्चात् अब हम द्वितीय प्रतिज्ञा कि समालोचना करेंगे। *२. द्वितीय प्रतिज्ञा:-* मैं राम , कृष्ण जो भगवान् के अवतार माने जाते हैं , में कोई आस्था नहीं रखूंगा और ना ही उनकी पूजा करूंगा।  *समालोचना:-* १. श्रीमान पहले तो आपको यह बताना चाहिये कि आपने ये कहाँ पढ़ा कि श्री राम और श्रीकृष्ण ईश्वर के अवतार हैं? तनिक प्रमाण तो देते। यह ऐसे अन्धों की तरह तीर चलाना था बस।  २. और वेद में ईश्वर को *अकायम् *अस्नाविरम्* *अपापविद्धम्* (यजुर्वेद)  और *अज* कहा गया है जिसका अर्थ है कि ईश्वर कभी नस नाड़ी के बन्धन से पृथक् है। और योगदर्शन में भी *क्लेशकर्म विपाकाशयैरप्रामृष्ट पुरुषः विशेषः ईश्वरः* अर्थात् क्लेश और कर्म और फल व फलभोग ये सर्वथा पृथक् चेतन का नाम ईश्वर है। जो अवतारवाद के प्रतिकूल है। और वेद में भी *ओ३म् क्रतो स्मर* यजुर्वेद इत्यादि मन्त्रों में ओ३म् के जप का ही विधान है न कि राम कृष्ण आदि के नामों का।  अतः *श्रीराम व श्रीकृष्ण* को ईश्वर न मानन

बाबा साहेब की पहली प्रतिज्ञा की समालोचना

🔥 *बाबा साहेब कि प्रथम प्रतिज्ञा की समालोचना*  *ओ३म्*        :- प्रथमेश आर्य्य।     ११ अप्रैल २०१८।जय भीम नमो बुद्धाय।  नमस्ते मित्रों ! डा. भीमराव राम जी अंबेडकर का इस राष्ट्र के हित में बहुत योगदान है विशेषरूप के संवैधानिक अधिकारों के परिप्रेक्ष्य में।  उन्होने बहुत कुछ विकृत हो चुके हिन्दू धर्म पर लिखा।  पर किसी के लिखने के वही बात पर प्रामाणति नहीं हो जाती जब तक कि उन बातों या तथ्यों  के प्रमाण उस धर्म के ग्रंथों में न मिलें। आज षड्यंत्रकारी लोग बाबा साहब की 22 प्रतिज्ञाओं को पत्थर की लकीर सदृश दिखाकर इस्लाम व ईसाईयत में धर्मान्तर करवा रहे हैं। अतः आज के परिप्रेक्ष्य में तर्क व युक्ति के साथ उन प्रतिज्ञाओं का समालोचना अनिवार्य है जिससे भोले लोग मार्गदर्शन पा सकें। इति।  *१.प्रथम प्रतिज्ञा:-* मैं *ब्रह्मा, विष्णु,महेश* में कोई विश्वास नहीं करूंगा और न ही उनको पूजूंगा *समालोचना:-* *स ब्रह्मा विष्णुः सः रुद्रस्स शिवस्सोsक्षरस्स परमः स्वराट्।*  *सः इन्द्रस्स कालाग्निस्स चन्द्रमाः।*        - कैवल्योपनिषत् खंड १. मन्त्र ८। अर्थ :-  सब जगत् को बनाने से *ब्रह्मा* सर्वत्र व्य