बाबा साहेब की पहली प्रतिज्ञा की समालोचना
🔥 *बाबा साहेब कि प्रथम प्रतिज्ञा की समालोचना*
*ओ३म्*
:- प्रथमेश आर्य्य।
११ अप्रैल २०१८।जय भीम नमो बुद्धाय।
नमस्ते मित्रों ! डा. भीमराव राम जी अंबेडकर का इस राष्ट्र के हित में बहुत योगदान है विशेषरूप के संवैधानिक अधिकारों के परिप्रेक्ष्य में। उन्होने बहुत कुछ विकृत हो चुके हिन्दू धर्म पर लिखा। पर किसी के लिखने के वही बात पर प्रामाणति नहीं हो जाती जब तक कि उन बातों या तथ्यों के प्रमाण उस धर्म के ग्रंथों में न मिलें।
आज षड्यंत्रकारी लोग बाबा साहब की 22 प्रतिज्ञाओं को पत्थर की लकीर सदृश दिखाकर इस्लाम व ईसाईयत में धर्मान्तर करवा रहे हैं। अतः आज के परिप्रेक्ष्य में तर्क व युक्ति के साथ उन प्रतिज्ञाओं का समालोचना अनिवार्य है जिससे भोले लोग मार्गदर्शन पा सकें।
इति।
*१.प्रथम प्रतिज्ञा:-*
मैं *ब्रह्मा, विष्णु,महेश* में कोई विश्वास नहीं करूंगा और न ही उनको पूजूंगा
*समालोचना:-*
*स ब्रह्मा विष्णुः सः रुद्रस्स शिवस्सोsक्षरस्स परमः स्वराट्।*
*सः इन्द्रस्स कालाग्निस्स चन्द्रमाः।*
- कैवल्योपनिषत् खंड १. मन्त्र ८।
अर्थ :- सब जगत् को बनाने से *ब्रह्मा* सर्वत्र व्यापक होने से *विष्णु* इत्यादि परमेश्वर के नाम हैं।
*बृह बृहि वृद्धौ* इन धातुओं से ब्रह्मा शब्द सिद्ध होता है। *योsखिलो जगन्निर्माणेन बर्हति वर्द्धयति स ब्रह्मा*।
जो सम्पूर्ण जगत् को रच के बढ़ाता है इसलिये परमेश्वर का नाम ब्रह्मा है।
*विष्लृ व्याप्तौ* इस धातु से *नु* प्रत्यय होकर विष्णु शब्द सिद्ध होता है। *वेवेष्टि व्याप्नोति चराsचर जगत् स विष्णुः परमात्मा* । चर और अचररूप जगत् में व्यापक होने से परमात्मा का नाम विष्णु है।
इसी प्रकार महेश = शिव = *यो शं करोति सः शङ्करः* जो सबका का मंगल व कल्याण करने वाला है उस परमेश्वर रषका नाम शिव है।
- *सत्यार्थ प्रकाश प्रथम समुल्लास*
इस प्रकार ये आपने देखा कि वेद में आये ब्रह्मा, विष्णु,महेश,शिव, सविता ,मनु इत्यादि सब शब्द धातुओं से निष्पन्न होने के कारण और उपासना प्रकरण होने पर परमात्मा के वाचक है या उसके ही नाम हैं। अतः
१. बाबा साहेब द्वारा उक्त प्रकार की प्रतिज्ञा करना उनके संस्कृत अज्ञान को दर्शाती है। परन्तु कुछ घोँचू प्रकृति के लोग फिर भी बाबा साहेब को बहुत बड़ा संस्कृत का विद्वान बताते हैं। *यद्यपि कानून के विषय मेरे लिये भी में वो आप्तपुरुष ही हैं।*
२. ब्रह्मा विष्णु इत्यादि विविध शरीरधारी व मुकुटधाकी देवों के नाम भागवतादि 18 पुराणों में हैं जो स्वयं वेदविरुद्ध हैं। अतः बाबा साहेब को वेद और पुराणों में अन्तर न ज्ञात था।
३. बाबा साहेब द्वारा ली गयी प्रतिज्ञा केवल हिन्दू धर्म के लिये थी।परन्तु इसका अर्थ यह कदापि नहीं कि वो इस्लाम व ईसाईयत आदि पाखंडी धर्मों के समर्थक हैं। बल्कि ऐसा मानने पर दो यह ही होगा कि *आसमान से गिरे और खजूर पर अटके।* अर्थात् बाबै साहेब की प्रतिज्ञा का यह भी अर्थ है कि किसी भी दलित को ईसा मसीह और मोहम्मद को भी ईश्वर व पैगम्बर न मानना चाहिये।
४. जब ब्रह्मा विष्णु आदि ईश्वर के ही नाम हैं तब इस प्रतिज्ञा में पुनरुक्ति दोष आ गया। और
ईश्वर की सिद्धि तर्क व युक्तिषों से होती है।और ब्रह्मा विष्णु आदि को पूजने का अर्थ बाबा साहेब के अनुसार क्या है ? यह भी घोँचुओं को खुलासा करना चाहिये।
यदि पूजा करना का अर्थ फल मेवा दूध आदि चढ़ाना व घंटा आदि बजाना है तो इन पाखंडो का वर्णन वेद व किसी ऋषिमुनिकृत ग्रंथ में नहीं।ईश्वर की पूजा का अर्थ है निरन्तर ओ३म् का जप करते हुये सत्कर्मों को करते हुये चरित्र को सुधारना व निरन्तर ब्रह्मचर्य पालन करत् हुये व जीवन में पुरुषार्थ करते हुये समाधि का अभ्यास करना।
५. इस प्रतिज्ञा से ईसा मसीह व मोहम्मद आदि पैगम्बरों व पीर मजारो को मानने व पूजने का स्वतः ही निषेध हो जाता है क्योंकि ये भी इस्लाम व ईसाईयत के पौराणिक ब्रह्मा विष्णु महेश ही तो हैं।
६. इस प्रतिज्ञा के फलस्वरूप सभी उन उन मुस्लिमों व ईसाईयों को अपने-अपने पाखंडी दीन व मजहबों का परित्याग कर देना चाहिये, जो जो अपने आप को बाबा साहेब का परम भक्त व अनुयायी बताते हैं।
७. बाबा साहेब की प्रतिज्ञा पूर्ण रूप से वेदानुकूल है।
अतः वेदों की ओर लौटो।
*ओ३म्*
*ओ३म् भूर्भुवः स्वः। तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात्।*
इति।
🔥 *प्रथमेश आर्य*
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