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बाबा साहेब की द्वितीय प्रतिज्ञा की समालोचना

🔥 *बाबा साहेब की द्वितीय प्रतिज्ञा की समालोचना* *ओ३म्*     - *प्रथमेश आर्य्य* ११ अप्रैल २०१८।  नमस्ते मित्रों ! प्रथम प्रतिज्ञा की समालोचना के पश्चात् अब हम द्वितीय प्रतिज्ञा कि समालोचना करेंगे। *२. द्वितीय प्रतिज्ञा:-* मैं राम , कृष्ण जो भगवान् के अवतार माने जाते हैं , में कोई आस्था नहीं रखूंगा और ना ही उनकी पूजा करूंगा।  *समालोचना:-* १. श्रीमान पहले तो आपको यह बताना चाहिये कि आपने ये कहाँ पढ़ा कि श्री राम और श्रीकृष्ण ईश्वर के अवतार हैं? तनिक प्रमाण तो देते। यह ऐसे अन्धों की तरह तीर चलाना था बस।  २. और वेद में ईश्वर को *अकायम् *अस्नाविरम्* *अपापविद्धम्* (यजुर्वेद)  और *अज* कहा गया है जिसका अर्थ है कि ईश्वर कभी नस नाड़ी के बन्धन से पृथक् है। और योगदर्शन में भी *क्लेशकर्म विपाकाशयैरप्रामृष्ट पुरुषः विशेषः ईश्वरः* अर्थात् क्लेश और कर्म और फल व फलभोग ये सर्वथा पृथक् चेतन का नाम ईश्वर है। जो अवतारवाद के प्रतिकूल है। और वेद में भी *ओ३म् क्रतो स्मर* यजुर्वेद इत्यादि मन्त्रों में ओ३म् के जप का ही विधान है न कि राम कृष्ण आदि के नामों का।  अतः *श्रीराम व श्रीकृष्ण* को ईश्वर न मानन

बाबा साहेब की पहली प्रतिज्ञा की समालोचना

🔥 *बाबा साहेब कि प्रथम प्रतिज्ञा की समालोचना*  *ओ३म्*        :- प्रथमेश आर्य्य।     ११ अप्रैल २०१८।जय भीम नमो बुद्धाय।  नमस्ते मित्रों ! डा. भीमराव राम जी अंबेडकर का इस राष्ट्र के हित में बहुत योगदान है विशेषरूप के संवैधानिक अधिकारों के परिप्रेक्ष्य में।  उन्होने बहुत कुछ विकृत हो चुके हिन्दू धर्म पर लिखा।  पर किसी के लिखने के वही बात पर प्रामाणति नहीं हो जाती जब तक कि उन बातों या तथ्यों  के प्रमाण उस धर्म के ग्रंथों में न मिलें। आज षड्यंत्रकारी लोग बाबा साहब की 22 प्रतिज्ञाओं को पत्थर की लकीर सदृश दिखाकर इस्लाम व ईसाईयत में धर्मान्तर करवा रहे हैं। अतः आज के परिप्रेक्ष्य में तर्क व युक्ति के साथ उन प्रतिज्ञाओं का समालोचना अनिवार्य है जिससे भोले लोग मार्गदर्शन पा सकें। इति।  *१.प्रथम प्रतिज्ञा:-* मैं *ब्रह्मा, विष्णु,महेश* में कोई विश्वास नहीं करूंगा और न ही उनको पूजूंगा *समालोचना:-* *स ब्रह्मा विष्णुः सः रुद्रस्स शिवस्सोsक्षरस्स परमः स्वराट्।*  *सः इन्द्रस्स कालाग्निस्स चन्द्रमाः।*        - कैवल्योपनिषत् खंड १. मन्त्र ८। अर्थ :-  सब जगत् को बनाने से *ब्रह्मा* सर्वत्र व्य

बाबा साहेब कि प्रथम प्रतिज्ञा की समालोचना

।।ओ३म् ।। ११ अप्रैल २०१८  जय भीम नमो बुद्धाय।  नमस्ते मित्रों ! डा. भीमराव राम जी अंबेडकर का इस राष्ट्र के हित में बहुत योगदान है विशेषरूप के संवैधानिक अधिकारों के परिप्रेक्ष्य में।  उन्होने बहुत कुछ विकृत हो चुके हिन्दू धर्म पर लिखा।  पर किसी के लिखने के वही बात पर प्रामाणति नहीं हो जाती जब तक कि उन बातों या तथ्यों  के प्रमाण उस धर्म के ग्रंथों में न मिलें। आज षड्यंत्रकारी लोग बाबा साहब की 22 प्रतिज्ञाओं को पत्थर की लकीर सदृश दिखाकर इस्लाम व ईसाईयत में धर्मान्तर करवा रहे हैं। अतः आज के परिप्रेक्ष्य में तर्क व युक्ति के साथ उन प्रतिज्ञाओं का समालोचना अनिवार्य है जिससे भोले लोग मार्गदर्शन पा सकें। १.प्रथम प्रतिज्ञा मैं  ब्रह्मा, विष्णु,महेश में कोई विश्वास नहीं करूंगा और न ही उनको पूजूंगा समालोचना:- स ब्रह्मा विष्णुः सः रुद्रस्स शिवस्सोsक्षरस्स परमः स्वराट्। सः इन्द्रस्स कालाग्निस्स चन्द्रमाः।        - कैवल्योपनिषत् खंड १. मन्त्र ८। अर्थ :-  सब जगत् को बनाने से ब्रह्मा सर्वत्र व्यापक होने से विष्णु इत्यादि परमेश्वर के नाम हैं।  बृह बृहि वृद्धौ इन धातुओं से ब्रह्मा शब्द सिद्