सोम रस क्या है?

                            सोम देवता  
                                        :- प्रथमेश आर्य। 
सोम विषय पर ब्राह्मणकारों ने सोम सवन के प्रकरण में सोम के जो जो अर्थ किये हैं उनपर पाठको का ध्यान खींचते हैं। :- 
1. *श्रीर्वै सोमः*  । शतपथ 4.1.3.9। 
2. *राजा वै सोमः*। श. 14.1.3.12। 
3. *यदाह गयोsसि इति सोमं वा एतदाह* । गो. पू. 5.14। 
4. *सोमो वै प्रजापतिः* । श. 5. *यदाह श्येनोsसि इति सोमं वा एतदाह। एष ह वा अग्निर्भूत्वा संश्यायति* गो. पू. 5.12। 
6. *यो वै विष्णु सोमः सः* । श 3.3.4.21। 
7. *योयं (वायुः) पवते एष सोमः।* श. 7.3.1.1। 
8. *य यदाह सम्राड् असि इति सोमं वा एतदाह।एष ह वै वायुर्भूत्वा अन्तरिक्षलोके सम्राजति।* गो. पू. 5.13। 
9. *एष वै यजमानो यत् सोमः।* तै 1.3.3.5। 
10. *क्षत्रं वै सोमः।* श. 3.4.1.10। 
11. *सोमो वै यशः* । तै. 2.2.8.8। 
12. *प्राणः सोमः* । श. 7.3.1.45। 
13. *रेतः सोमः।* (ऐ. 13.7) 
अर्थात् सोम के अर्थ श्री, राजा,  प्राण, प्रजापति, गूढ़रूप , अग्नि, विष्णु, परमात्मा, वायु, सम्राट, क्षत्रिय, वीर्य, यश , केवल आनन्दमय, परब्रह्म का लय,वीर्य और ब्राह्मण आदि सभी सोम शब्द से लिये जाते हैं।

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