,*ऋग्वेद में गोमांस भक्षण बताना स्वयं को धूर्त सिद्ध करना*
,*ऋग्वेद में गोमांस भक्षण बताना स्वयं को धूर्त सिद्ध करना*
कहते हैं जिसके पास जितनी बुद्धि होती है वो उतना ही सोचता है। एक नये आये हैं जो वेद में मांसभक्षण को बता रहे।
अब इन ज्ञानी को कौन समझाये कि वेद के वही अर्थ मान्य हैं जो व्याकरण शिक्षा निरुक्त कल्प ज्योतिष छन्द आदि के अनुसार हो।
चूंकि वेद में गोमांस भक्षण का ज्ञान छौकने वाला स्वयं कुरान का समर्थक है अतः यह स्पष्ट है कि यह व्यक्ति मांसभक्षण व 4 पत्नी रखना व जिहाद करके गैर मुस्लिमों को मारने को अपना धर्म समझता है। और शायद 9 वर्ष की लड़की के विवाह अर्थात् बलात्कार का भी समर्थक हो क्योंकि इनके यहाँ यही परम्परा है। अस्तु।
इन्होने जो वेदमन्त्र दिये हैं उनका पं. आर्य्यमुनिकृत भाष्य पढिये।
ऋग्वेद 10.86.13-14
आकाश में जिन ग्रहों उपग्रहों ती गति होते इष्ट देखी जाती है वे पैंतीस है। आरंभ सृष्टि में सारे ग्रह उपग्रह रेवती तारे के अन्तिम भाग पर अवलम्बित थे। वे ईश्वरीय नियम से गति करने लगे और रेवती तारे से पृथक् होते चले गये। विश्व के उत्तर गोलार्ध और दक्षिण गोलार्ध में चले गये। यह स्थिति सृष्टि के उत्पत्ति काल की वेद में वर्णित है।
ध्यान दें यहाँ न मांस भक्षण है और न ही गोवध। आक्षेपकर्ता इतना अधिक मूर्ख है कि वह।यह नहीं जानता कि कुरान व बाईबल की तरह वेद में परस्पर विरुद्ध वचन नहीं।
*अब सुनो वेदमन्त्र में मांसनिषेध*
चावल खाओ , जौ खाओ। परन्तु कभी नर मादा की हिंसा मत करो - अथर्ववेद 6.140.2।
निर्दोष को मारना निश्चित ही पाप है। हमारी गाय घोड़ो को मत मारो। - अथर्ववेद 10.1.29।
अतः अब मांसाहार राक्षसों का है।
कुरान में स्वयं मांसभक्षण है।वेद में नहीं।
जो 9 वर्ष की लड़की से विवाह करे वो सुअर है। राक्षस है।
क्योंकि मनुस्मृति व सुश्रुत संहिता के अनुसार स्त्री के विवाह की न्यूनतम आयु 16-17 वर्ष है।
-प्रथमेश आर्य ।
सत्य सनातन धर्म की जय
ReplyDeleteकुछ षड़यंत्रकारी शास्त्रों के संस्कृत श्लोकों का गलत अर्थ बताकर गुमराह करते है, और हम हिंदू संस्कृत का ज्ञान न होने के कारण वही सही मान लेते हैं, इसी बात का गलत फायदा उठाकर हिन्दू धर्म को निचा दिखाया जाता है... धन्यवाद आपका आपके सच्चाई से अवगत कराया..
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